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I strongly encourage any company who has been systematically boycotted by advertisers to file a lawsuit.
There may also be criminal liability via the RICO Act.
— Elon Musk (@elonmusk) August 6, 2024
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भारत के 84 प्रतिशत से अधिक जिलों के भीषण उष्ण लहर से प्रभावित होने की संभावना है और 70 फीसदी जिलों में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। एक नये विश्लेषण में यह कहा गया है। स्वतंत्र विकास संगठन आईपीई ग्लोबल लिमिटेड और एस्री इंडिया टेक्नोलॉजिस द्वारा तैयार की गई ‘गर्म होते जलवायु में मानसून का प्रबंधन’ रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मानसून (जून-सितंबर) के दौरान गर्मियों जैसी स्थिति बनी हुई है।
आईपीई ग्लोबल लिमिटेड में जलवायु परिवर्तन और ‘सस्टैनबिलिटी प्रैक्टिस’ के प्रमुख और अध्ययन के लेखक अविनाश मोहंती ने कहा कि उनका विश्लेषण संकेत देता है कि 2036 तक 10 में आठ भारतीय प्रतिकूल मौसमी घटनाओं से प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि, उद्योग और व्यापक अवसंरचना परियोजनाओं को जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से बचाने के लिए अति-विस्तृत जोखिम आकलन को अपनाना और जलवायु-जोखिम वेधशालाओं की स्थापना करना शीर्ष राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।
रिपोर्ट कहती है कि 2012-22 के दशक में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और त्रिपुरा उष्ण लहर से सर्वाधिक प्रभावित पांच राज्य थे। इसमें कहा गया है कि तटीय क्षेत्रों के 74 प्रतिशत जिले, मैदानी क्षेत्रों के 71 फीसदी जिले तथा पहाड़ी क्षेत्रों के 65 प्रतिशत जिले भीषण उष्ण लहर से प्रभावित रहे।
रिपोर्ट के मुताबिक, मैदानी और पहाड़ी जिलों में 2013-22 के दशक के दौरान उष्ण लहर दिनों की संख्या में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि तटीय जिलों में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस दशक (2013-22) में पिछले दो दशकों की तुलना में कम उष्ण लहर दिवस दर्ज किए गए। इस अवधि में 2015 में सबसे ज्यादा भीषण गर्मी पड़ी थी जो 1998 के बाद दूसरी सबसे घातक वर्ष था।